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जर्मनी में नेताओं पर क्यों बढ़ रहे हैं हमले

ओलिवर पीपर
९ मई २०२४

हाल ही में पूर्वी जर्मनी में सेंटर-लेफ्ट पार्टी के एक नेता पर जानलेवा हमला हुआ. इससे पहले भी कुछ नेताओं पर इस तरह के हमले हो चुके हैं. जर्मन राजनेताओं पर बढ़ते हमलों ने लोकतंत्र-समर्थकों की चिंता बढ़ा दी है.

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जर्मन राजधानी बर्लिन में देश में बढ़ती हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे लोग
जर्मन राजधानी बर्लिन में देश में बढ़ती हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे लोग तस्वीर: Christian Mang/AFP/Getty Images

यूरोपीय संसद चुनाव के उम्मीदवार और जर्मनी के सेंटर-लेफ्ट सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) के नेता माथियास एके पर हाल ही में हमला हुआ था. पूर्वी जर्मनी के सैक्सनी राज्य के ड्रेसडेन में यह हमला तब हुआ, जब वह 9 जून को होने वाले यूरोपीय संसद के चुनावों के लिए पोस्टर लगा रहे थे. माथियास सैक्सनी में अपनी एसपीडी पार्टी के मुख्य उम्मीदवार हैं.

हमले की वजह से माथियास के जबड़े और आंखों पर गंभीर चोटें आईं और उनके चेहरे पर जगह-जगह खून के थक्के जम गए थे. 41 वर्षीय माथियास को चार लोगों ने बुरी तरह पीटा था. इसके बाद उन्हें इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराना पड़ा. उनकी सर्जरी भी हुई. अच्छी खबर ये है कि अब उनकी हालत स्थिर बनी हुई है और वे धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहे हैं. उनके साथी प्रचारकों का कहना है कि स्वस्थ होने के बाद माथियास फिर से अपना चुनावी अभियान जारी रखेंगे.

इस मामले में पुलिस ने 17 और 18 साल की उम्र के चार संदिग्धों की पहचान की है. वहीं, बुरी खबर यह है कि जर्मनी में राजनीति करने वाले हर व्यक्ति की जिंदगी पर खतरा बढ़ता जा रहा है. वे काफी खतरनाक स्थिति में जी रहे हैं. एसपीडी नेता पर हुआ यह हमला महज एक उदाहरण है. स्थानीय नेताओं पर आये दिन हमले होते हैं, उन्हें धमकी दी जाती है और उनका अपमान किया जाता है.

जर्मनी के पूर्वी राज्य थुरिंजिया में एक साल तक ग्रीन पार्टी के नेता रहे मैक्स रेश्के इस खतरे से भली-भांति वाकिफ हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "हमने अपने पार्टी दफ्तर के दरवाजों के सामने गोबर का ढेर रखा देखा है. कई बार खिड़कियों पर अंडे रखे मिले, खिड़कियां टूटी मिली और मेलबॉक्स भी खुले मिले. मुझे और मेरे साथियों को शारीरिक हमले की धमकी भी दी गई है. हाल के वर्षों में हमारे खिलाफ हिंसक भाषा का इस्तेमाल भी बढ़ा है.”

अपनी सुरक्षा बढ़ा रहे हैं स्थानीय नेता

ग्रीन पार्टी के समर्थक, हमलावरों के निशाने पर सबसे ज्यादा हैं. मई के अंत में होने वाले स्थानीय चुनावों और जून की शुरुआत में होने वाले यूरोपीय चुनावों के प्रचार के दौरान उन्होंने कभी भी अकेले बाहर नहीं निकलने का फैसला किया है. प्रचारकों को लोगों से हमेशा शांतिपूर्वक तरीके से बात करने, तनाव कम करने और खुद उत्तेजित न होने के लिए प्रशिक्षित किया गया है.

रेश्के कहते हैं, "कुछ लोग पहले सिर्फ मन में ही तरह-तरह की बातें सोचते थे, पर अब वे खुलकर बोलने लगे हैं. ये लोग हमारे परिवारों को भी डराते-धमकाते हैं. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी सोच के मुताबिक ऐसी घटनाओं को अंजाम भी देने लगे हैं. ड्रेसडेन में जो हुआ उसने इस दुर्भाग्यपूर्ण सच को उजागर कर दिया है.

चुनाव से जुड़े अपराधों में वृद्धि

जर्मनी में कई वर्षों से चुनाव के दौरान होने वाले अपराधों में वृद्धि देखी जा रही है. सबसे अधिक आबादी वाले राज्य नार्थ राइन-वेस्टफेलिया के एसेन शहर में हाल ही में ग्रीन पार्टी के दो नेताओं के साथ पहले बुरा व्यवहार किया गया और फिर उन पर शारीरिक हमला किया गया. इस हमले में एक व्यक्ति घायल हो गया.

ब्रांडेनबुर्ग में गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने ग्रीन पार्टी की सदस्य और जर्मन संसद की उपाध्यक्ष कातरीन गोएरिंग एकार्ट की कार पर 1 मई को हमला किया था. इसी तरह, थुरिंजिया के गोथा शहर में एसपीडी नेता के घर में फरवरी में आग लगा दी गई थी, क्योंकि उन्होंने दक्षिणपंथी अतिवाद के खिलाफ प्रदर्शन का आयोजन किया था.

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रेश्के ने मांग की है कि स्थानीय नेताओं को पुलिस की सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने कहा, "हमें बुरी घटना होने का इंतजार नहीं करना चाहिए. लोगों को इससे पहले ही सतर्क हो जाना चाहिए और उचित कदम उठाने चाहिए. समाज को यह सवाल खुद से पूछना चाहिए कि हम किस दिशा में जाना चाहते हैं. मेरा मानना है कि हिंसा और डर फैलाने से किसी समस्या का समाधान नहीं होगा.”

पूरे अमेरिका और यूरोप में बढ़ रही राजनीतिक हिंसा

ओपिनियन रिसर्च इंस्टीट्यूट फोर्सा ने पूरे जर्मनी में 6,400 से अधिक मेयरों के बीच सर्वे किया. इसमें 40 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें या उनके करीबी लोगों को अपमानित किया गया, धमकाया गया या उन पर शारीरिक हमला किया गया. कुछ लोगों ने यह भी बताया कि इन घटनाओं से क्षुब्ध होकर उन्होंने राजनीति छोड़ने के बारे में भी सोचा.

हालांकि, सिर्फ जर्मनी ही इस तरह की हिंसक घटनाओं की चपेट में नहीं है, बल्कि पूरे यूरोप और अमेरिका में नेताओं पर हमले बढ़ गए हैं. कोर्बर फाउंडेशन में डेमोक्रेसी और कोहेजन यूनिट के प्रमुख स्वेन टेट्सलॉफ भी इस बात की पुष्टि करते हैं.

उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "सोशल मीडिया ने सार्वजनिक चर्चा को बदलने में अहम भूमिका निभाई है. लोग एक-दूसरे को उकसा रहे हैं कि सरकार, व्यवस्था, राजनीति और ‘ऊपर बैठे लोगों' के खिलाफ नफरत दिखाएं. हम यह जानते हैं कि अगर इस तरह की भाषा का इस्तेमाल होता रहा, तो लोगों में सीधे शारीरिक नुकसान पहुंचाने की हिम्मत भी बढ़ती जाएगी.”

खतरे में लोकतंत्र

टेट्सलॉफ आगे कहते हैं, "समझौता करने या हर किसी के हितों को ध्यान में रखने की इच्छा कम होती जा रही है. इसका मतलब है कि लोग यह कहने लगते हैं कि अगर मेरे हितों या मेरी बातों को नजर अंदाज किया जाता है, तो फिर मैं इस पूरे सिस्टम को ही नहीं मानूंगा. मैं उस नेता का अपमान करूंगा जो मेरे हिसाब से काम नहीं करता.”

कोर्बर फाउंडेशन ने जर्मन एसोसिएशन ऑफ सिटीज, जर्मन एसोसिएशन ऑफ काउंटिज और जर्मन एसोसिएशन ऑफ टाउन्स एंड म्युनिसिपैलिटीज के साथ मिलकर 2021 में ‘स्ट्रॉन्ग इन ऑफिस' नाम का ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया. यह पोर्टल स्थानीय राजनेताओं के लिए बनाया गया है. हर महीने करीब 3,000 स्थानीय नेता खुद को खतरों से बचाने और ऑनलाइन हेट स्पीच से मुकाबला करने की रणनीतियों के बारे में पढ़ने के लिए इस वेबसाइट पर आते हैं. 

टेट्सलॉफ को इस बात की चिंता है कि माथियास पर हाल में हुए हमले के बाद कई नेता अपनी सुरक्षा की वजह से राजनीति छोड़ने पर विचार कर सकते हैं. यह एक खतरनाक स्थिति का संकेत है.

उन्होंने कहा, "अगर जर्मनी में लोकतंत्र के पहले स्तर पर यानी 11,000 से अधिक नगर पालिकाओं में लोग अब शामिल नहीं होते हैं, तो यह धारणा बन जाएगी कि लोकतंत्र अब काम नहीं कर रहा है. अगर हमें स्थानीय स्तर पर यह भरोसा नहीं रहेगा कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था काम करती रहेगी, तो जर्मनी में वाकई एक बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी.”